Jeevan Mai Karm कैसे करे? अपने कर्मों को हमें कैसे करना चाहिए

Jeevan Mai Karm कैसे करे? अपने कर्मों को हमें कैसे करना चाहिए

दोस्तों हमें किस प्रकार के कर्म करना चाहिये जाने हिंदी में नमस्कार दोस्तों Balbodi Ramtoriya आज का हमारा टॉपिक है|कि Jeevan Mai Karm कैसे करे। अपने कर्मों पर भरोसा एवं अपने कर्मों को हमें कैसे करना चाहिए आज हम इसी टॉपिक पर चर्चा करते हैं। 

Jeevan Mai Karm कैसे करे
Jeevan Mai Karm कैसे करे 

अपने कर्मों को हमें कैसे करना चाहिए

जैसे कि आप जानते हैं कर्म क्या है मानव जीवन में कर्म का क्या महत्व है। कर्म से क्या पाया जा सकता है कर्म कैसे हो यह कर्म की गति क्या होती है। कर्मशील की गति क्या होती है। इन सभी बातों पर हम थोड़ी थोड़ी चर्चा करेंगे आप हमारी इस पोस्ट को पूरा पढ़िए। ताकि आप कर्म के बारे में कुछ महापुरुषों के विचारों को आप अच्छी तरह से समझ सकें। 

  • Karm kaise kare 

दोस्तों इस संसार में कोई भी मनुष्य स्वभाव तक किसी के लिए उधार प्रिय दृष्टि दोष नहीं होता है अपने कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की ओर या उच्च पद की ओर ले जाता है। कर्म करना बहुत अच्छी बात है। पर वह कर्म विचारों से आता है कर्म अपने विचारों से आता है इसलिए अपने मस्तिष्क में अपने दिमाग में अपने मन में उच्च विचार एवं उच्चतम आदर्शों को भर लीजिए। उन्हें दिन रात अपने सामने रखो। उन्हीं कर्मों से उच्च विचार कर्मों से ही इंसान महान बनता है। केवल वही व्यक्ति सबकी अपेक्षा उत्तम रूप से करता है।जो पूर्णता निस्वार्थ होता है जिसे ना धन की लालसा है न कीर्ति की और न किसी अन्य बस्तु की। 

दोस्तों तुम जो भी karm प्रेम और सेवा की भावना से करते हो वह तुम्हें परमात्मा की ओर जरूर ले जाता है जिस karm  में घृणा छुपी हो इस जादू छुपा हो वह कर्म हमें परमात्मा से दूर ले जाता है। कर्म का मूल्य उसके बाहरी रूप और बाहरी फल में इतना नहीं है जितना कि उनके द्वारा हमारे भीतर में दिव्यता और बुद्धि होने से। 

  • Karm se kya milta hei 

दोस्तों अब विद्या से संसार में उत्पत्ति होती है। संसार से गिरा जीव विषयों में सशक्त रहता है। विषय सख्ती के कारण कामना और कर्म का निरंतर दबाव बना रहता है। कर्म शुभ और अशुभ दो प्रकार के होते हैं।

शुभ अशुभ दोनों प्रकार के कर्मों का फल हमें यानी इंसान को मिलता है। कर्म योगी अपने लिए कुछ करता ही नहीं है अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता और अपना कुछ मागता भी नहीं है इसलिए उसमें कामनाओं का नाश सुगमता पूर्वक हो जाता है। कर्म करने और फल पाने के बीच लंबा समय लगता है  जिसकी प्रतिक्षा धीर पूर्वक हमें करनी चाहिए। 

अपना धीरज कायम रखना चाहिए

बीज को वृक्ष बनने में कुछ समय लगता है अखाड़े में यदि कोई पहलवान जाता है और विद्यालय में प्रवेश पाने से कोई ज्ञानी नहीं हो जाता है कामयाबी धैर्य से मिलती है कर्म क्षेत्र चाहे कोई भी हो इसलिए हमें अपना धीरज कायम रखना चाहिए। 

जो बियक्ति छोटे छोटे कर्म को ईमानदारी से करता है वह बड़े कर्म भी ईमानदारी से कर सकता है। इस धरती पर कर्म करते हुए सौ साल तक जीने की इक्छा रखो ,क्यों की कर्म काढ़े बाला ही जीने का अधिकारी होता है। जो कर्म निश्ठा छोड़कर भोगवृत्ति रखता है ,वह मृत्यु का अधिकारी बनता है। karm  ही मनुष्य के jeevan को पबित्र बनाता है। 

दोस्तों अपने हमारी पोस्ट Jeevan Mai Karm कैसे करे का महत्व जाना आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी जरूर बताये। 

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