दोस्तों अपनों से अच्छे सम्बंध स्थापित करना है। मज़बूत (Strong) दोस्ती बनानी है। कुछ आगे जाकर तरक्क़ी करनी है तो, इसके लिए हमें कुछ अपने जीवन में अपनाना बहुत ज़रूरी रहता है। यदि आप अच्छे सम्बंध स्थापित करना चाहते हैं तो, इसके लिए इस आर्टिकल (Article) में कुछ महत्त्वपूर्ण टॉपिक (Important topics) दिए हैं। जिसे आप पढ़े और अपने जीवन में उतारें। आप अपनों से अच्छे सम्बंध स्थापित कर सकते हैं। चलिए शुरू करें।
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अच्छे सम्बंध स्थापित कैसे करें?
सम्बंध विकसित करने के लिए व्यक्ति को प्रयास करने पड़ते हैं। अंत व्यक्तित्व सम्बंधी सम्बंधों (Personality relationships) का संवर्धन और संपूर्ण आवश्यक है। संतोषप्रद सम्बंध बनाने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं।
आशावाद के साथ तनाव रहित रहे, यदि आप स्वयं सहज और तनाव (Tension) रहित रहेंगे। तब दूसरे भी आपकी मन: की स्थिति का अंदाजा लगाकर सहज बने रहेंगे। किसी से पहली बार परिचित होने पर गर्मजोशी से मिले। सौहार्द (Harmony) बनाने के लिए सबसे अचूक उपाय है, मुस्कुराहट आशावादिता (Smile optimism) , उत्साह और ओजस्वी संप्रेषण (Communication) लंबे समय तक टिकने वाले अंतः व्यक्ति सम्बंध को मज़बूत नीव करता है।
ध्यान पूर्वक सुने, ध्यान पूर्वक सुनने का तात्पर्य (Meaning) है शब्दों से प्रेषित और शब्दों से परे अर्थ समझना। संवाद करने वालों की भाव भंगिमाओ, आवाज़ के उतार-चढ़ाव, भाव और संवेगों (Emotions) को पकड़िए. इससे संप्रेषणकर्ता के साथ संवेगात्मक (Emotional) जुड़ाव बनेगा।
सम्बंध विकसित करने के लिए
परानुभूति का अनुभव करें, परानुभूति आपसी संप्रेषण का ठोस आधार है। परानुभूति (Pratubhuti) से आशय है-अपने विचारों व चिंतन को परे रखते हुए, दूसरे व्यक्ति के नजरिए से देखना, व महसूस करना। दूसरों की सफलता में उत्तेजना पूर्ण (Excitement in success) सहभागिता व कठिन समय में ढांढस या साहस बंधाना ज़रूरी है। सच्ची परानुभूति आपसी सम्बंधों को मजबूती देती है।
सोच समझ कर जवाब दें, संवेग व शब्दों का चयन सावधानी से करें। दूसरे व्यक्तियों की मनोदशा, भाव व आवश्यकता (Sentiment and requirement) को पहचाने। शब्द ही सम्बंधों को मज़बूत बनाने या बिगड़ते हैं। अपनी बात खुलकर बताने वाले व्यक्ति की प्रशंसा करें, दूसरे इससे दूसरे व्यक्ति अधिक उत्साह (excitement) और साहस के साथ आपकी बात रखेंगे।
संयोगिता में सम्बंध बनाएँ, सम्बंधों को बनाए रखने के लिए उन्हें निरंतर संपोषित (Endowed) करना पड़ता है। जैसे-जैसे सम्बंध परिपक्ता (Circuit) की ओर अग्रसर होते जाएंगे। वैसे-वैसे उनमें जुड़े व्यक्तियों की आवश्यकता और मूल भी बदलेगा। व्यवसायिक स्तर पर सम्बंध (Relation) बनाने वाले व्यक्तियों के मध्य ही बदलते सेडयूल और लक्ष्य के अनुसार लचीलापन होना अनिवार्य शर्त है, इस प्रकार परस्पर सहयोगी क्रियाएँ सामंजस्य और विश्वास का निर्माण करती हैं।
अच्छे सम्बंध विकसित करने के लिए
सच्चा व्यवहार रखें, इससे तात्पर्य है समग्रता (Totality) और मूल्यों के अनुरूप कार्य करना। दूसरों के साथ व्यवहार (dealing) करते हुए सहज, सरल बने रहे। अपने साथ ईमानदारी (Honesty) बरतें, अपनी कथनी और करनी में अंतर ना हो। इस बात को स्पष्ट करें कि आप किस हद तक दूसरों की बात सहन करेंगे या स्वीकार करेंगे। इसी प्रकार दूसरा आपसे क्या चाहता है। यह भी जान ले, ऐसा करने से आपसी विश्वास (credence) व आदर का भाव निर्मित होता है।
मुक्त कंठ की प्रशंसा:-दूसरों की अच्छाइयों को जाने व उनकी प्रशंसा (appreciation) करें, अपने शब्दों व कार्य (Work) से दूसरों को महसूस कराएँ कि वह आपके लिए विशिष्ट है। अपनी अच्छाई को भी जाने और उसे सुदृढ़ करने का प्रयास करें।
दोस्तों कमजोर अथवा खराब सम्बंधों के कारण एक दूसरे को टालना उत्साह में कमी, कार्य में अरुचि तालमेल ना होना। इत्यादि परिणाम देखने में आते हैं। पारस्परिक सम्बंध (Reciprocal relationship) सुदृढ़ होने पर वांछित (Desired) परिणाम प्राप्त होते हैं। परस्पर सहयोग से उत्पादकता में वृद्धि होती है।
अच्छे और सुदृढ़ मनुष्य के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का संवर्धन (Promotion) करते हैं। तथा मानसिक शांति तथा प्रसन्नता बढ़ाते हैं। व्यावसायिक (Professional) उन्नति लाते हैं। कमजोर (Weak) सम्बंध से आपसाद नशीले पदार्थ के सेवन इत्यादि को बढ़ावा मिलता है।
पोस्ट निष्कर्ष
दोस्तों अपने इस Post में जाना कि हम अपने सम्बंध दूसरों से कैसे बना सकते हैं। कितनी गहराई तक ले जा सकते हैं व कितना मज़बूत हम एक दूसरे को Shere सकते हैं। आशा है आपको यह जानकारी ज़रूर अच्छी लगी होगी। इस जानकारी को अपने Social Networks पर ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें। पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
3 thoughts on “अच्छे सम्बंध स्थापित करने के लिए क्या करना चाहिए?”
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