हेलो दोस्तों प्रशंसा (Prashansa) का हिन्दी इंग्लिश अर्थ क्या है प्रशंसा का पात्र कौन हैं महापुरुषों द्वारा Prashansa पर महत्त्वपूर्ण वक्तव्य का उपदेश दिया जो प्रशंसा किसे कैसे और किस को मिलने चाहिए, कौन इसका पात्र हैं। जैसे कि प्रशंसा क्या है कौन प्रशंसा का पात्र प्रशंसा किसकी और कैसे करना चाहिए, अपनी प्रशंसा सुनकर व्यक्ति की क्या प्रतिक्रिया होने चाहिए प्रशंसा से क्या हानि लाभ है। आदि प्रश्नों का सटीक विवेचन महापुरुषों की एवं विचारकों की दृष्टि से आप पढ़ेंगे।
Table of Contents
प्रशंसा का अर्थ क्या है? (Prashansa ka arth)
सबसे पहले हम जानते हैं प्रशंसा (Prashansa) का आम भाषा में इसका अर्थ क्या होती है? एक सामने वाले के भाव हमारी कर्तव्य और कर्म पर एक उत्साह और उल्लास के साथ वार्तालाप या वक्तव्य देना ए प्रशंसा के शब्द कहे जाते हैं।
सामने वाला हमारी तारीफ करता है। जिससे हमारा एक हौसला जाए होता है और तारीफ के पहाड़ खड़ी कर देता है। ऐसे शब्द जो प्रशंसा (Prashansa) से जुड़े हुए होते हैं। प्रशंसा एक क़िस्म की तारीफ है।
दोस्तों अपने एक सरल भाषा में प्रशंसा (Prashansa) के अर्थ को जाना। अब महापुरुषों ने प्रशंसा के बारे में महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया, जो आप क्रमबद्ध तरीके से पड़ेंगे कौन महापुरुष ज्ञानी पंडितों प्रशंसा पर क्या वक्तव्य दिया।
महापुरुषों के प्रशंसा में महत्वपूर्ण वक्तव्य (praise of great men)
नीति वचन (policy statement) :-जैसे चांदी की परत कोठारी पर और सोने की परत मिट्टी में होती है वैसे ही मनुष्य की परत लोगों के द्वारा दी गई प्रशंसा से होती है।
लिंकन (Lincoln) :-प्रत्येक व्यक्ति प्रशंसा चाहता है।
वेल्स लोकोक्ति (Wells proverb) :-एक बुद्धिमान पुरुष की प्रशंसा उसकी अनुपस्थिति में करनी चाहिए, किंतु स्त्री की प्रशंसा उसके मुख पर।
टॉमस मूर (Thomas Moore) :-प्रतिद्वंद्वी द्वारा की गई प्रशंसा सर्वोत्तम कीर्ति है।
रस्किन (ruskin) :-प्रशंसा के प्रति अनुराग पर ही सदैव किसी जाति का महान प्रयास आधारित रहा है, जैसे उसका पतन विलासिता के प्रति अनुराग में रहा है।
बेकन (bacon) :-प्रशंसा अच्छे गुणों की छाया है, परंतु जिन गुणों की वह छाया है, उन्हीं के अनुसार उसकी योग्यता भी होती है।
प्रेमचंद (Premchand) ;-अपनी प्रशंसा सुनकर हम इतने मतवाले हो जाते हैं कि फिर हमें विवेक की शक्तिभी लुप्त हो जाती है। बड़े-से-बड़ा महात्मा भी अपनी प्रशंसा सुनकर फूल उठता है।
अज्ञात (unknown) ;-मुझे किसी दूसरी वस्तु की इतनी आवश्यकता नहीं है जितनी की आत्मा पूजा की भूख के पोषण की।
डिजरायली (disraeli) :-अपनी पुस्तकों की प्रशंसा करने वाला लेखक अपने बच्चों की प्रशंसा करने वाली माता के समान हैं।
प्रशंसा के बारे में महत्वपूर्ण वक्तव्य (important about Prashansa)
कार्ल मार्क्स (Karl Marx) :-किसी के गुणों की प्रशंसा करने में अपना समय व्यर्थ नष्ट न करें, गुणों को अपनाने का प्रयत्न करें।
यंग (Young) :-प्रशंसा प्रार्थना से अधिक दिव्य हैं, प्रार्थना स्वयं का प्यार रास्ता हमें दिखाती है प्रशंसा वहाँ पहले से ही उपस्थित रहती है।
डॉ जानसन (Dr. Johnson) :-सोने और हीरे के समान प्रशंसा का मूल केवल उसके दुर्लभ में ही होता है।
स्वामी अमरमुनि (Swami Amarmuni) :-प्रशंसा आपके व्यक्ति के मूल केंद्र पर चोट करती है इससे आप जान सकते हैं कि आपके सामने बैठे व्यक्ति का मानसिक तथा आध्यात्मिक स्तर क्या है।
सुदर्शन (Sudarshan) :-प्रशंसा के वचन साहस बढ़ाने में अचूक औषधि का काम देते हैं।
फ्रैंकलिन (franklin) :-प्रशंसा अज्ञान की बेटी है।
चाणक्य (Chanakya) :-प्रशंसा से बचो यह आपके व्यक्तित्व की अच्छाइयों को घुन की तरह चाट जाती हैं।
वेदांत तीर्थ (Vedanta pilgrimage) :-प्रशंसा की मीठी अग्नि यमराज की कठोर ह्रदय को भी मोम बना देती है तभी तो वह अपने भक्तों को अमर होने का वर दे देता है यह जानते हुए कि इस संसार में कोई अमर नहीं है।
अज्ञात (unknown) :-प्रशंसा की भूख जिसे लग जाती है, वह कभी तृप्त नहीं होती है।
महत्वपूर्ण प्रशंसा पर उपदेश (sermon on praise)
स्वामी गोविंद प्रकाश (Swami Govind Prakash) :-दूसरों की प्रशंसा करना बहुत कम लोग जानते हैं, इसलिए जब भी कोई आपकी प्रशंसा करें तो यह जानने की कोशिश करें कि सामने वाला आपसे आकर चाहता क्या है।
खलील जिब्रान (Khalil Gibran) :-प्रशंसा खोजने वाले को वह नहीं मिलती है।
के. हैरी (K. harry) :-जब भी मैं अपने अतीत में झांक कर देखता हूँ तो मुझे स्पष्ट दिखाई देता है कि मुझे लोगों ने मेरे प्रशंसा करके ज़्यादा ठगा है।
ब्रॉडहर्स्ट (broadhurst) :-आयोग मनुष्य की प्रशंसा छिपे हुए व्यंग के समान होती है।
सेनेका (seneca) :-का आप प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है।
तीर्थ आनंद (teerth aanand) :-सच्ची प्रशंसा आलोचक द्वारा की जाती है क्योंकि जहाँ वह अपनी उंगली नहीं रख पाता मोनू उन-उन स्थानों पर तुम्हारी मुख प्रशंसा करती है।
आचार्य (Teacher) :-प्रशंसा की तेज लहरों के बीच से उसे निकाल पाना आसान नहीं, जो आपको भुलावे में नहीं रखता, बल्कि आपके आत्माविश्वास को बढ़ाता है।
लुई (louis) :-अगर तुमने मेरी प्रशंसा कम की होती तो मैं तुम्हारी अधिक करता।
चेस्टर फील्ड (chester field) :-जब कोई आदमी आपसे नसीहत चाहता है तो वास्तव में आपकी प्रशंसा चाहता है।
मदार व्हेल (mad whale) :-प्रशंसा वह फूल है जो मृतक के नाम के साथ खेलता है।
प्रशंसा पर वक्तव्य (statement on Prashansa)
स्वामी रामतीर्थ (swami ramtirth) :-जो प्रशंसा के क्षणों में अपना होश बनाए रख सकता है, असल में वही साधक है।
रूजवेल्ट (roosevelt) :-प्रशंसा तो भाग्य से मिलती है ईमानदार आप स्वयं बन सकते हैं।
वेदांत तीर्थ (Vedanta pilgrimage) :-क्या तुम स्वयं अपनी प्रशंसा कर सकते हो? यदि हाँ तो फिर कोई कितनी भी तुम्हारी निन्दा करें, दोबारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
जिनेफोन (xyphone) :-ध्वनियों में सबसे मधुर है प्रशंसा की ध्वनि।
एडिशन (edition) :-आध्या अत्यधिक प्रशंसा बहुत थोड़े समय रहनेवाली भावना है। ज्यों ही आपकी जानकारी उस व्यक्ति से बढ़ती है। जिसकी आप प्रशंसा करते थे, तब तुरंत ही आप उसकी प्रशंसा की कसौटी करने लगते हैं।
तथागत (Tathagata) :-सच्ची प्रशंसा करना सीखो, यही श्रेष्ठ गुण है।
मिल्टन (milton) :-प्रशंसा कर्तव्यपरायणता के लिए बाध्य करती है, चापलूसी कर्तव्यविमुखता की ओर ले जाती है।
सुकरात (Socrates) :-प्रशंसा को वीरता के कार्य की सौगंध ही समझिए.
स्वामी अमरमुनि (Swami Amarmuni) :-प्रशंसा एक ऐसा जाल है जिसमें तेज रफ़्तार परिंदा ख़ुद आकर फँस जाता है।
फेल्थम (feltham) :-प्रशंसा विवेकी को नम्र बनाती है, मूर्ख को अहंकारी और दुर्लभ मन को मदहोश कर देती है।
अज्ञात (unknown) :-प्रशंसा केवल भड़कीले वस्त्रों में लिपटा हुआ असत्य है।
पोस्ट निष्कर्ष
दोस्तों आपने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रशंसा (Prashansa) पर बड़े-बड़े मनीषियों एवं विचारकों की दृष्टि से सटीक विवेचना जाना। जो कि वास्तव में प्रशंसा के बारे में बताया गया है। आशा है ऊपर दी गई ज्ञानवर्धक जानकारी आपको ज़रूर अच्छी लगी होगी। अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को साझा करें और ज्ञान से रिलेटेड जानकारी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
Read the post