संकल्प (Sankalpa) क्या है? क्यों कहा गया है इसे शक्तिशाली? क्या कहती हैं विश्व-विख्यात विभूतियाँ

Sankalpa क्या है? दृढ़ संकल्प से हमारे जीवन में क्या फायदा होता है? संकल्प दृढ़ निश्चय से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं कुछ महापुरुषों ने संकल्प पर अपने वक्तव्य दिए जिनको हम जानेंगे। Sankalpa किसी भी कार्य के लिए संकल्प का महत्त्व बताया गया है। संकल्प क्यों कहा गया है इसे शक्तिशाली? क्या सचमुच संकल्प शक्ति द्वारा असम्भव भी सम्भव हो सकता है? क्या कहती हैं विश्व-विख्यात विभूतियाँ जानते हैं।

महापुरुषों के संकल्प (Sankalpa) पर विचार

1-आचार्य गणेशदास (Acharya Ganeshdas) ने कहा: संसार में सभी भले कार्य शिव संकल्प से होते हैं, जिसमें Sankalpa की शक्ति नहीं, वह कोई सुकार्य नहीं कर सकता। इसलिए वैदिक ऋषियों ने भी यही याचना की थी कि हमारे हृदय में कल्याणकारी संकल्प हों जिससे हम निरन्तर आत्मत्याग के साथ लोक-कल्याण कर सकें।

2-महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने कहा: मेरे लिए सत्य धर्म और हिंदू धर्म पर्यायवाची शब्द है। हिंदू धर्म में अगर असत्य का कुछ अंश है तो मैं उसे धर्म नहीं मान सकता। अगर इसके लिए सारी हिंदू जाति मेरा त्याग कर दे और मुझे अकेला रहना पड़े तो भी मैं कहूँगा मैं अकेला नहीं। तुम अकेले हो क्योंकि मेरे साथ सत्य है और तुम्हारे साथ नहीं, सत्य तो प्रत्यक्ष परमात्मा है।

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3-स्वामी कूटस्थानन्द (swami kutasthanand) ने कहा: अपने भीतर के दोषों का निरीक्षण करो, परीक्षण करो और अध्ययन करो। तब अपने दोषों को स्वीकार करो। कान पकड़ो और कहो कि इन सब दोषों को बाहर निकालकर ही दम लूँगा। संकल्प (Sankalpa) करो, दृढ़ संकल्प करो तभी तुम जो चाहो कर सकते हो और जो चाहो बन सकते हो। जीवन कर और भाग्य तुम्हारे हाथ है।

4-स्वामी विवेकानन्द (Swami Vivekanand) ने कहा: उठो और संकल्प (Sankalpa) लेकर कार्य में जुट जाओ। यह जीवन भला है कितने दिन का? जब तुम इस संसार में आए हो तो कुछ चिह्न छोड़ जाओ अन्यथा तुममें और वृक्षादि में अंतर ही क्या रह जाएगा, वे भी पैदा होते हैं, परिणाम को प्राप्त होते हैं और मर जाते हैं।

संकल्प (Sankalpa) पर क्या कहते महापुरुष

5-मनुष्य में शक्ति की नहीं, संकल्प की कमी होती है। -विक्टर मेरी
6-जब हम कोई कार्य करने की इच्छा करते हैं, तो शक्ति अपने आप ही आ जाती है। प्रेमचन्द
7-जो आदमी संकल्प (Sankalpa) कर सकता है, उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं। -इमर्सन

8-मनुष्य जितना ज्ञानवान और संकल्पवान बनेगा, उसकी इच्छाएँ भी इसी अनुपात में पूर्ण होंगी।
9-संकल्प लेकर पुरुषार्थ करनेवाले की जीत निश्चित है। -शब्द प्रकाश
10-इच्छा का मूल संकल्प है। यज्ञ संकल्प से होते हैं। व्रत और धर्मपालन आदि भी संकल्प से ही होते हैं। -मनुस्मृति

11-मैं संकल्प (Sankalpa) लेता हूँ कि जीवन पथ पर प्रत्येक कदम सोचसमझकर रखूगा और आगे बढ़ा कदम पीछे नहीं हटाऊँगा। -सूक्ति
12-संकल्प कर लो, सोच समझकर कर लो, परन्तु करने के बाद उसे मत छोड़ो। सत्य संकल्प ही ईश्वर के प्रति सबसे बड़ी निष्ठा है। -अज्ञात

दृढ़ संकल्प पर महत्त्वपूर्ण विचार

13-इतिहास, पुराण सभी साक्षी हैं कि मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित होते हैं। -एमर्सन
14-दृढ़ Sankalpa एक गढ़ के समान है जोकि भंयकर प्रलोभनों से हमको बचाता है, दुर्बल और डाँवाडोल होने से वह हमारी रक्षा करता है। -महात्मा गांधी
15-मेरे मन के संकल्प शुभ और कल्याणमय हों। -यजुर्वेद

16-अच्छे काम को करने में धन की आवश्यकता कम पड़ती है, पर अच्छे हृदय और संकल्प की अधिक। —सूर
17-जब संकल्प (Sankalpa) दृढ़ हो जाता है, अध्यवसाय अशिक्षित हो जाता है और महामाया के श्री चरणों में अखण्ड विश्वास हो जाता है, तब उद्देश्य की सफलता भी निश्चित हो जाती है। -अज्ञात
18-संकल्प की शुद्धि और दृढ़ता ने भगवान् तक को घंटों कच्चे धागे में बाँधकर नाच नचाया है। अज्ञात

निष्कर्ष

महानुभाव ऊपर आपने संकल्प (Sankalpa) पर महापुरुषों के विचार जाने, किन महापुरुष ने क्या विचार दिए यह आपने ऊपर पड़ा। वास्तव में संकल्प हमें उस मंजिल तक पहुँचाने का काम करता है और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

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