shradha ह्रदय भाव से उठने वाले विचार का एक समूह श्रद्धा आपके जीवन में क्या परिवर्तन ला सकती है। श्रद्धा से किस वस्तु की प्राप्ति होती है, कौन-सा लाभ और नुकसान होता है? महापुरुषों ने श्रद्धा के बारे में महत्त्वपूर्ण विचार व्यक्त किए जो आप इस आर्टिकल shradha in hindi के माध्यम से पढ़ने वाले हैं चलिए, जानते हैं श्रद्धा पर महापुरुषों के महत्त्वपूर्ण विचार।
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How to write shradha in hindi? श्रद्धा पर महत्त्वपूर्ण विचार
श्रद्धा न हो तो आस्था व्यर्थ है। श्रद्धा आपके विश्वास को दृढ़ता प्रदान करती है। जब तक किसी कार्य या व्यक्ति विशेष के प्रति व्यक्ति में श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती, तब तक उसके प्रति अनुराग उत्पन्न नहीं होता।
Shradha per mahatvpurn vichar
- shradha और विश्वास ऐसी संजीवन बूटी है कि जो एक बार घोलकर पी लेता है, वह चाहने पर मृत्यु को भी पीछे धकेल देता है। -अमृतलाल नागर
- किसी मनुष्य में जन-साधारण से विशेष गुण या शक्ति का विकास देखकर उसके सम्बन्ध में जो एक स्थायी आनन्द पद्धति हृदय में स्थापित हो जाती है उसे श्रद्धा कहते हैं। -रामचन्द्र शुक्ल
- श्रद्धा की गुंजाइश तो वहीं है जहाँ बुद्धि कुंठित हो जाए। -महात्मा गांधी
- देवता जन श्रद्धा की उपासना करते हैं, श्रद्धा से परम ऐश्वर्य मिलता है। -ऋग्वेद
- shradha मनुष्य की आनन्दपूर्ण स्वीकृति के साथ-साथ पूज्य बुद्धि का संचार है। –रामचन्द्र शुक्ल
- श्रद्धा नींव की ईंट के समान है। धर्म-कर्म और साधना की दीवारें श्रद्धा पर ही खड़ी होती हैं। -दीनानाथ भार्गव (दिनेश)
- सद्विचार पर बुद्धि रखने का ही नाम श्रद्धा है। यही श्रद्धा मनुष्य को बल देती है और उसके जीवन को सार्थक बनाती है। -आचार्य विनोबा भावे
- श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्ध है ईश्वर पर विश्वास। -महात्मा गांधी
- जब से मुझे पता चला कि मखमल के गद्दों पर सोने वालों के सपने नंगी जमीन पर सोने वालों के सपनों से मधुर नहीं होते, तब से मुझे प्रभु के न्याय में दृढ़ shradha हो गई। -वासुदेवशरण अग्रवाल
- जो अमीरों को लूटकर दीन-दुःखी प्राणियों का पालन करता है, मुझे उन पर घृणा के बदले श्रद्धा होती है। –प्रेमचन्द
Manushya jivan mein shradha ka mahatva
- चैतन्य को बंधन में बाँधने के लिए प्रकृति ने श्रद्धा के अतिरिक्त और कोई रस्सी बनाई ही नहीं। बाँधने के लिए मनुष्य के हाथ केवल यही रस्सी आई। मन को चाहे देवता के साथ बाँधें, चाहे मातृभूमि के साथ, श्रद्धा या प्रेम की दामरी के इनके सिवा और कोई उपाय नहीं। -वासुदेवशरण अग्रवाल
- जहाँ बुद्धि नहीं पहुँचती, वहाँ श्रद्धा पहुँचती है। -महात्मा गांधी
- सबकी shradha अपने स्वभाव का अनुसरण करती है। मनुष्य में कुछ न कुछ तो श्रद्धा होती ही है, जिसकी जैसी श्रद्धा होती है, वह वैसा ही होता है। -श्रीमद्भागवद् गीता
- यदि प्रेम स्वप्न है तो श्रद्धा जागरण है। –रामचन्द्र शुक्ल-15. जिज्ञासा का अभाव अश्रद्धा है। जिज्ञासा विषय की या अपने अध्यवसाय की। क्षमता से अनुभव का विषय बना सकना, यही श्रद्धा का लक्षण है। आत्मविश्वास ही श्रद्धा है। -शुक्ल
- हम श्रद्धा का प्रातःकाल, मध्याह्नकाल और सांयकाल आवाहन करते हैं और कामना करते हैं कि हे श्रद्धादेवि! तुम सदा हममें निवास करो। -ऋग्वेद
- श्रद्धा-आस्था ही हमारे आदर्श की बाह्य रेखा है। -स्वेट मार्डेन
- वस्तुतः निराश हृदय को सांत्वना, अवलंबन और जीवन देने वाली वृत्ति श्रद्धा ही है। श्रद्धा में आत्मसमर्पण है। -अज्ञात
- प्रेम में केवल दो पक्ष होते हैं, श्रद्धा में तीन। प्रेम में कोई मध्यस्थ नहीं, पर श्रद्धा में मध्यस्थ अपेक्षित है। -रामचन्द्र शुक्ल
- shradha भाव से क्या प्राप्ति होती है सिद्धा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए लेख के अनुसार आपने श्रद्धा इन हिन्दी (Shradha In Hindi) के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी पढ़ी आशा है आपको महापुरुषों के विचार जरूर अच्छे लगे होगे। पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,
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