पृथ्वी की उत्पत्ति और-और इसके जैविक विकास के बारे में, कब और कैसे हुई पृथ्वी की उत्पत्ति, जैविक विकास कैसे और कब हुआ? पूरी जानकारी पृथ्वी पर जीव की उत्पत्ति के बारे में, पोस्ट को पूरा पढ़ें यह जानकारी पूर्ण पोस्ट है। पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में सबसे पहले इसकी क्या और कैसे हुई कहाँ से पैदा हुई पृथ्वी, चलिए जानते हैं पोस्ट को पूरा पढ़ें,
जैसे कि दोस्तों पृथ्वी के उद्भव (पृथ्वी की उत्पत्ति) और इसके जैविक विकास की बड़ी विचित्र कहानी है। भारतीय वेद-पुराणों के अनुसार पृथ्वी तथा बह्माण्ड के का काल अथवा आयु का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। अन्य पिण्डों की उत्पत्ति भगवान विष्णु ने की, तथा समस्त जैविक प्राणियों (जीव-जन्तु तथा वनस्पति आदि) की उत्पत्ति ब्रह्मा के विभिन्न अंगों से हुई। इसी प्रकार की धारणाएँ कई अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी भिन्न-भिन्न प्रकार से व्यक्त की गई हैं।
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पृथ्वी की उत्पत्ति कब हुई
आज के इस वैज्ञानिक युग में विज्ञान ने बहुत महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। भूवैज्ञानिक पृथ्वी के ऊपर तथा इसके अन्दर की चट्टानों का विश्लेषण करके इसके उद्भव (उत्पत्ति) तथा संरचना के बारे में बहुत कुछ खोजबीन कर रहे हैं।
पृथ्वी की उत्पत्ति तथा विकास की जानकारी प्राप्त करने में जैव-अवशेषों (फोसिल) का बहुत महत्त्व है। फोसिल (जीवाश्म) पृथ्वी के अन्दर चट्टानों में अथवा समुद्र की तह के नीचे दबे प्राचीन-कालीक जैव-अवशेषों को कहते हैं।
इनका अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को पेलिएन्टोलोजिस्ट कहते हैं। आधुनिक कार्बन-आइसोटोप-डेटिंग प्रणाली से अनुसंधान द्वारा किसी भी अवशेष इस शताब्दी के महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह ज्ञात हुआ है कि पृथ्वी और हमारे सौरमण्डल के अन्य ग्रहों का उद्भव सूर्य से हुआ है।
अनुमान लगाया गया है कि आज से लगभग 6 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी एक दहकते हुए अंगारे की भांति किसी विशेष ब्रह्माण्डीय घटना के दौरान सूर्य से अलग हुई थी। तब से लेकर आज तक के समय अन्तराल को 6 महायुगों (ईरा) में विभाजित किया गया है। इनमें से प्रत्येक महायुग की कई करोड़ों वर्षों की भिन्न-भिन्न अवधि है।
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई?
एजोइक आकियोजाइक के उपरांत से लेकर पूर्व-कैम्ब्रियन महायुग तक पृथ्वी का भौतिक एवं रासायनिक घटनाओं के द्वारा ही परिवर्तन एवं विकास हुआ और अनुमानतः इस अवधि में पृथ्वी पर अन्य ग्रहों की भांति किसी भी जीव आदि ki utpati नहीं हुई थी।
लगभग साढ़े 4 अरब वर्ष पूर्व धरती का स्वरूप एक दहकते हुए अग्नि के गोले से बदलकर शीतल सख्त चट्टानमयी गोले के समान हो गया। लगभग 3 अरब वर्ष पूर्व धरती का अधिकतर भाग जल के विशाल भण्डार में दबा हुआ था। अर्थात् इस दौरान लाखों वर्षों तक बिजली के चमकने, लगातार वर्षा होने, वाष्पन तथा संघनन की निरंतर क्रिया चलते रहने तथा कई रासायनिक घटनाओं के उपरान्त पृथ्वी पर जल के विशाल भण्डार तथा वायुमण्डल का निर्माण हुआ। इस प्रकार से पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है,
आज से प्रोटिरोजोइक। पेलिओजोइक मीसोजोइक तथा सिनोजोइक महायुगों के नाम दिये गए हैं। प्रायः पहले तीन युगों को इकट्ठे रूप से पूर्व-कैम्ब्रियन महायुग (प्रीकैम्ब्रियन ईरा) के नाम से भी व्यक्त किया जाता है। पूर्व कैम्ब्रियन महायुग में पृथ्वी का विशेष रूप से अजैविक रूप से ही विकास हुआ,
सूर्य से पृथ्वी की उत्पत्ति
अर्थात् सूर्य से Prithvi ki utpati 60 करोड वर्ष से पूर्व तक के समय का युग ही प्री कहा जाता है। पृथ्वी पर इस काल अवधि में जीवन के मात्र मौलिक अणुओं तथा संरचनाओं का ही जन्म हुआ था। अर्थात् देखने योग्य पृथ्वी के धरातल अथवा समुद्र में जीव-जन्तु या पेड़-पौधे आदि कुछ न थे।
पीकेन्द्रियः। महायुग के पश्चात् फिर तेजी से जल और थल में जीवन के विभिन्न रूपों का जैव उदभव तथा विकास प्रारम्भ हुआ। प्राटिरोजाइक युग में समुद्र के कोने-कोने में निम्नतम स्तर के जीवों-प्रोटोजोआ (एक-कोशिकीय जीव) , मूंगा, जैलीफिश, शंखसीप इत्यादि की प्रचुरता थी।
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई,
पेलिओजोइक युग में पृथ्वी पर अनेक प्रकार के कीट-पतंगे विभिन्न प्रकार के मॉस-घास इत्यादि, अनेक प्रकार के जलीय तथा जल-स्थलचर जन्तु फैले हुए थे। मीसोजोइक युग (7 करोड़ से 22 करोड़ वर्ष पूर्व तक का काल) में पृथ्वी पर जल, थल और नभ में विचरने वाले लाखों सूक्ष्म से लेकर महाकाय जीव-जन्तु तथा वनस्पतियों की अनेक जातियों की बहुलता थी। इसी युग में डायनोसॉर जैसे विशालकाय सरीसृपों का राज था।
खाने तथा स्थान की उत्तम प्रचुरता के कारण इन की संख्या में बहुत वृद्धि हुई। जैव अवशेषों के अनुसंधान-विश्लेषणों से अनुमान लगाया गया है कि लगभग 6 करोड़ वर्ष पूर्व किसी खगोलीय दुर्घटना के कारण इन सभी विशालकाय प्राणियों का सर्वनाश हो गया।
आज से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक के इस महायुग को सिमानाइक महायुग कहा जाता है। इस युग के प्रारम्भ में हाथियों जेसे विशाल गेमथ हुआ करते थे। इसी युग में अनेक प्रकार के अन्तर्वीजी आवृतबीजी) पेड-पौधों का भी विकास हुआ। डार्विन के बताये जैव-विकास के अनुसार हमारे पूर्वजों वनमानुष (बंदर) का विकास भी इसी युग में हुआ।
मानव के विकास की कहानी
इस प्रकार विकास का क्रम लाखों वर्षों की अवधि में चलते हुए धीरे-धीरे वनमानुषों से मानव के विकास की कहानी प्रारम्भ हुई और फलस्वरूप आज की दुनिया का समस्त प्राणी जगत अस्तित्त्व में आया। मानव (होमोसेपियन सेपियन) आज के युग का सबसे अधिक विकसित प्राणी है, जिसने अपनी बुद्धि के बल पर आदि से अनन्त की खोज का अद्भुत साहसिक प्रयास किया है।
जैव विकास की यह प्रक्रिया आगे आने वाले युगों में भी चलती रहेगी और इसी प्रकार उत्तम से सर्वोत्तम जातियों का अस्तित्व सम्भव हो सकेगा। हम सभी मानवों का यह दायित्व है कि ब्रह्माण्ड की इस अद्भुत रचना (पृथ्वी) के प्राकृतिक विकास में किसी प्रकार से बाधक न बने और प्रकृति की प्रत्येक रचना का सम्मान करें, ताकि इस अद्भुत खगोलीय पिण्ड की आने वाली नस्लों को उनकी समृद्ध धरोहर प्राप्त हो सके। इस प्रकार निरंतर विकास की ओर अग्रसर,
पोस्ट निष्कर्ष
आपने ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से जाना कि पृथ्वी की उत्पत्ति और जैविक विकास के बारे में जाना, कब और कैसे हुई कितने वर्ष पूर्व Prithvi ki utpati हुई? तमाम जानकारी को पढ़ा। आशा है आप को ऊपर दिया गया कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा और अधिक पढ़ें।
और अधिक पढ़ें: पृथ्वी पर या कहीं और क्या जीवन है?
2 thoughts on “पृथ्वी की उत्पत्ति और इसके जैविक विकास के बारे में”
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